अगर आज के दौर में लड़कियां घर और बाहर का काम अच्छी तरह से संभाल सकती हैं तो लड़के क्यों नहीं? विवाह के बाद लड़की को एक नए घर में अपनी जिम्मेदारियों को अच्छे ढंग से निभाना सिखाया जाता है। उसी तरह माता-पिता का यह दायित्व भी बनता है कि वे अपने बेटे को भी यह सिखाएँ कि वह पत्नी का सहयोग करे !
यह संगठन महिलाओं के सशक्तिकरण और लड़कियों के अधिकारों को बचाने के लिए एक गैर-लाभकारी संगठन है।
Saturday 26 August 2017
Wednesday 23 August 2017
What is women's rights ? ( क्या हैं महिलाओं के अधिकार ? )
महिलाओं को घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार
घरेलू हिंसा का अर्थ
1-व्यक्ति अगर व्यथित महिला के स्वास्थ्य की सुरक्षा , उसके जीवन अंग या कल्याण को नुकसान पहुंचाता है , क्षतिग्रस्त करता है या खतरा पहुंचाता है या ऐसा करने की कोशिश करता है तो वह घऱेलू हिंसा में शामिल है ।
2-इसके अंतर्गत शारीरिक दुरुपयोग , मौखिक औऱ भावनात्मक दुरुपयोग तथा आर्थिक दुरुपयोग , यौन दुरुपयोग शामिल हैं ।
शारीरिक दुरुपयोग
शारीरिक दुरुपयोग का मतलब है कि कोई भी कार्य या आचरण जो ऐसी प्रकृति का हो जो कि व्यथित महिला के जीवन अंग या स्वास्थ्य को शारीरिक कष्ट पैदा करता है । इसके अंतर्गत हमला करना, अपराधिक अभित्रास औऱ आपराधिक बल इस्तेमाल करना शामिल है ।
यौन दुरुपयोग
यौन प्रकृति का कोई भी आचरण जो महिला की गरिमा का दुरुपयोग करता है , अपमानित करता है , तिरस्कृत करता है या उसको भंग करता है ।
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Saturday 19 August 2017
खुशकिस्मत है वो, जो बेटी के बाप हैं
एक कहानी जो छू जाएगी आपके अंतर्मन को...
"पाँच साल की बेटी बाज़ार में
गोल गप्पे खाने के लिए मचल गई।
"किस भाव से दिए भाई?"
पापा नें सवाल् किया।
"10 रूपये के 8 हैं।
गोल गप्पे वाले ने जवाब दिया.......
पापा को मालूम नहीं था गोलगप्पे
इतने महँगे हो गये है....
जब वे खाया करते थे तब तो एक रुपये के 10 मिला करते थे। .
पापा ने जेब मे हाथ डाला 15 रुपये बचे थे।
बाकी रुपये घर की जरूरत का सामान लेने में खर्च हो गए थे।
उनका गांव शहर से दूर है 10 रुपये तो बस के किराए में लग जाने है।
"नहीं भई 5 रुपये में 10 दो, तो ठीक है वरना नही लेने।
यह सुनकर बेटी नें मुँह फुला लिया....
"अरे अब चलो भी ,
नहीं लेने इतने महँगे।
पापा के माथे पर लकीरें उभर आयीं ....
"अरे खा लेने दो ना साहब..
अभी आपके घर में है तो
आपसे लाड़ भी कर सकती है...
कल को पराये घर चली गयी तो
पता नहीं ऐसे मचल पायेगी या नहीं. ...
तब आप भी तरसोगे बिटिया की
फरमाइश पूरी करने को...
.
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गोलगप्पे वाले के शब्द थे तो चुभने वाले,
पर उन्हें सुनकर पापा को
अपनी बड़ी बेटी की याद आ गयी....
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जिसकी शादी उसने तीन साल पहले
एक खाते -पीते पढ़े लिखे परिवार में की थी......
उन्होंने पहले साल से ही उसे छोटी
छोटी बातों पर सताना शुरू कर दिया था.....
दो साल तक वह मुट्ठी भरभर के
रुपये उनके मुँह में ठूँसता रहा पर
उनका पेट बढ़ता ही चला गया ....
और अंत में एक दिन सीढियों से
गिर कर बेटी की मौत की खबर
ही मायके पहुँची.....
.
.
आज वह छटपटाता है
कि उसकी वह बेटी फिर से
उसके पास लौट आये..?
और वह चुन चुन कर उसकी
सारी अधूरी इच्छाएँ पूरी कर दे...
पर वह अच्छी तरह जानता है
कि अब यह असंभव है..
"दे दूँ क्या बाबूजी
गोलगप्पे वाले की आवाज से
पापा की तंद्रा टूटी...
"रुको भाई दो मिनिट ....
पापा पास की उस पंसारी की दुकान पर गए
जहाँ से जरूरत का सामान खरीदा था।
खरीदी गई पाँच किलो चीनी में से एक किलो चीनी वापस की तो 40 रुपये जेब मे बढ़ गए।
फिर ठेले पर आकर पापा ने डबडबायी आँखें
पोंछते हुए कहा
अब खिलादे भाई।
हाँ तीखा जरा कम डालना।
.
.
मेरी बिटिया बहुत नाजुक है....
सुनकर पाँच वर्ष की गुड़िया जैसी बेटी की आंखों में चमक आ गई
.
.
और पापा का हाथ कस कर पकड़ लिया।
जब तक बेटी हमारे घर है
उसकी हर इच्छा जरूर पूरी करे..
क्या पता आगे कोई इच्छा
पूरी हो पाये या ना हो पाये ।
ये बेटियां भी कितनी अजीब होती हैं
ससुराल में कितना भी प्यार मिले.....
माँ बाप की एक मुस्कान को
तरसती है ये बेटियां....
ससुराल में कितना भी रोएँ
पर मायके में एक भी आंसूं नहीं
बहाती ये बेटियां....
क्योंकि
बेटियों का सिर्फ एक ही आंसू माँ
बाप भाई बहन को हिला देता है
रुला देता है....
भगवान की अनमोल देंन हैं
ये बेटियां ......
हो सके तो
बेटियों को बहुत प्यार दें
उन्हें कभी भी न रुलाये
क्योंकि ये अनमोल बेटी दो
परिवार जोड़ती है
दो रिश्तों को साथ लाती है।
अपने प्यार और मुस्कान से।
हम चाहते हैं कि
सभी बेटियां खुश रहें
हमेशा भले ही हो वो
मायके में या ससुराल में।
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खुशकिस्मत है वो, जो बेटी के बाप हैं...!
उन्हें भरपूर प्यार दे, दुलार करें और यही व्यवहार अपनी पत्नी के साथ भी करें क्यों की वो भी किसी की बेटी है और अपने पिता की छोड़ कर आपके साथ पूरी ज़िन्दगी बीताने आयी है। उसके पिता की सारी उम्मीदें सिर्फ और सिर्फ आप से हैं।
Saturday 12 August 2017
बेटी बचाओ अपना देश बढ़ाओ
प्रिय पाठको ! अभी कुछ दिन पहले सभी लोगो ने बड़ी ही धूमधाम के साथ रक्षाबंधन मनाया अपनी प्यारी बहनो के साथ ! सबके व्हाट्सप्प और फेसबुक पर रक्षाबंधन की ढेर सारी बधाई तो कही राखी की डीपी लगायी गयी! और अब रक्षाबंधन ख़त्म होते ही सबके व्हाट्सप्प और फेसबुक पर स्वतंत्रता दिवस की डीपी और शुभकामनाये दोस्तों और सभी को लोग दे रहे है ! देखकर ये सब अच्छा लगता है कि आज भी लोग आज़ादी के ७० वर्ष पुरे होने पर इतने ख़ुशी और सम्मान क साथ हमारे राष्ट्रीय झंडे को इतनी इज़्ज़त और सम्मान देते है ! लेकिन क्या सही मायनो में ये सब करके आप अपने राष्ट्रीय झंडे को सम्मान दे रहे है ? जैसे रक्षाबंधन ख़त्म होते साथ सब भाई अपनी बहन को दिए अपने वादे भूल गए इसी तरह स्वतंत्रता दिवस क बाद भी कुछ ऐसा ही आप करना चाहते है?
जरुरी नहीं कि हम भारत में फिर से वैसी ही क्रांति लेकर ही देश का नाम रोशन करे और अपना ! अगर सच में आप क्रांति लाना ही चाहते हो तो एसिड अटैक और रेप, दहेज़ प्रथा, घरेलू हिंसा जैसी समस्याओं क निपटारे क लिए क्रांति लाये जिससे सच में हमारे राष्ट्रीय झंडे को सम्मान मिले और हमारा देश आज़ाद हो ! वास्तव में हमारा देश तभी महान बनेगा जब महिलाये, लड़कियाँ खुद को सरक्षित महसूस करे और उन्हें भी शिक्षा का पूरा अधिकार हो तभी इस राष्ट्रीय झंडे को हम सम्मान दे सकेंगे और गर्व से कह सकेंगे "सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा".
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बहन से कलाई पर राखी तो बँधवा ली
500 रू देकर रक्षा का वचन भी दे डाला!
राखी गुजरी, और धागा भी टूट गया,
इसी के साथ बहन का मतलब भी पीछे छूट गया!
फिर वही चौराहों पर महफिल सजने लगी,
लड़की दिखते ही सीटी फिर बजने लगी!
रक्षा बंधन पर आपकी बहन को दिया हुआ वचन,
आज सीटियों की आवाज में तब्दील हो गया !
रक्षाबंधन का ये पावन त्यौहार,
भरे बाजार में आज जलील हो गया !!
पर जवानी के इस आलम में,
एक बात तुझे ना याद रही!
वो भी तो किसी की बहन होगी
जिस पर छीटाकशी तूने करी !!
बहन तेरी भी है, चौराहे पर भी जाती है,
सीटी की आवाज उसके कानों में भी आती है!
क्या वो सीटी तुझसे सहन होगी,
जिसकी मंजिल तेरी अपनी ही बहन होगी?
अगर जवाब तेरा हाँ है, तो सुन,
चौराहे पर तुझे बुलावा है!
फिर कैसी राखी, कैसा प्यार
सब कुछ बस एक छलावा है!!
बन्द करो ये नाटक राखी का,
जब सोच ही तुम्हारी खोटी है!
हर लड़की को इज़्ज़त दो ,
यही रक्षाबंधन की कसौटी है!
आज हम जिस उपलब्धि स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मना रहे हैं, वो केवल एक क़दम है ! भारत की सेवा का अर्थ है लाखों-करोड़ों पीड़ितों की सेवा करना। इसका अर्थ है निर्धनता, अज्ञानता, और अवसर की असमानता मिटाना। कोई भी देश तब तक महान नहीं बन सकता जब तक लोगों की सोच या कर्म संकीर्ण हैं। वास्तव में अगर आप सही अर्थ में स्वतंत्रता दिवस मानना चाहते है तो रोज़ मनाये और रोज अपनी सोच को स्वतंत्र करे और महिलाओ का सम्मान करे तभी देश का सम्मान बढ़ेगा, उन्हें एसिड अटैक और रेप, दहेज़ प्रथा, घरेलू हिंसाजैसी समस्याओं से सुरक्षित करे जिससे देश सुरक्षित होगा !
"जिस देश में होता है नारी का सम्मान, वह देश होता है स्वर्ग समान । "
जरुरी नहीं कि हम भारत में फिर से वैसी ही क्रांति लेकर ही देश का नाम रोशन करे और अपना ! अगर सच में आप क्रांति लाना ही चाहते हो तो एसिड अटैक और रेप, दहेज़ प्रथा, घरेलू हिंसा जैसी समस्याओं क निपटारे क लिए क्रांति लाये जिससे सच में हमारे राष्ट्रीय झंडे को सम्मान मिले और हमारा देश आज़ाद हो ! वास्तव में हमारा देश तभी महान बनेगा जब महिलाये, लड़कियाँ खुद को सरक्षित महसूस करे और उन्हें भी शिक्षा का पूरा अधिकार हो तभी इस राष्ट्रीय झंडे को हम सम्मान दे सकेंगे और गर्व से कह सकेंगे "सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा".
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Saturday 5 August 2017
सेव एंजेल्स टीच एंजेल्स की तरफ से रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाये !
रक्षा बंधन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। उत्तरी भारत में यह त्यौहार भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित है और इस त्यौहार का प्रचलन सदियों पुराना बताया गया है। इस दिन बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा का संकल्प लेते हुए अपना स्नेहाभाव दर्शाते हैं।
रक्षा बंधन का उल्लेख हमारी पौराणिक कथाओं व महाभारत में मिलता है महाभारत की लड़ाई से पहले श्री कृष्ण ने राजा शिशुपाल के खिलाफ सुदर्शन चक्र उठाया था, उसी दौरान उनके हाथ में चोट लग गई और खून बहने लगा तभी द्रोपदी ने अपनी साड़ी में से टुकड़ा फाड़कर श्री कृष्ण के हाथ पर बांध दिया, बदले में श्री कृष्ण ने द्रोपदी को भविष्य में आने वाली हर मुसीबत में रक्षा करने की कसम दी थी और उससे पूरा किया !
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ द्वारा यहाँ सन्देश रक्षा बंधन के पर्व पर उन सभी माता-पिता और भाइयों से है जो गर्भ में पल रही बेटी को जानकार उसे इस समाज में आने से पहले ही उसे खत्म कर देते है और इतना भी नहीं सोच पाते की जिस माँ से उन्हें जनम मिला वो भी किसी की बेटी है, बहन है और आपकी पत्नी है तब जाकर आपको ये सारे रिश्ते मिले अगर आप इसी तरह बेटी को नहीं अपनाओगे तो ये रिश्ते आपको कभी नहीं मिलते ! फिर अपनी बेटी को क्यू समाज में आने से पहले ही उसे खत्म क्र देते हो..? अगर समाज में बेटी नहीं होगी तो यह पर्व अधूरा रहेगा ! हर भाई को एक बहन की जरुरत है इस पर्व पर, इसे समझने का प्रयास करे और भाई भी समझे की जो कसम वो अपनी बहन को देते है रक्षा करने का वो कसम की सिर्फ अपनी बहन को नहीं बल्कि समाज की हर उस लड़की के साथ निभाए जो समाज में रेप, महिलाओं का उत्पीड़न, एसिड अटैक जैसे अपराध जो हो रहे है उनसे उन्हें सुरक्षित करे ! अगर कभी आपने किसी एक लड़की को इस तरह के उत्पीड़न से बचा लिया तो अपनी बहन को दी कसम स्वयं पूरी हो जाएगी ! जिस तरह आप अपनी बहन को चाहते है कि समाज में सर उठा के चले वैसे ही दूसरे की बहन का भी ख्याल रखे और समाज की हर एक लड़की को इज़्ज़त और सम्मान दे ! तभी सही दिशा में यहाँ पर्व पूरा होगा जब हर एक लड़की अपने आपको अकेली भी सुरक्षित महसूस करेगी.
रक्षाबंधन दो लोगों के बीच प्रेम और इज्जत का बेजोड़ बंधन का प्रतीक है ! आज भी देशभर में लोग इस त्योहार को खुशी और प्रेम से मनाते है और एक-दूसरे की रक्षा करने का वचन देते है तो इस रक्षा बंधन पर अपनी बहन को ही नहीं समाज की हर एक लड़की की रक्षा करने का वादा करे ! सभी भाई लड़की की रक्षा करने क लिए कॉमेंट और लाइक करे !
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रक्षा बंधन का उल्लेख हमारी पौराणिक कथाओं व महाभारत में मिलता है महाभारत की लड़ाई से पहले श्री कृष्ण ने राजा शिशुपाल के खिलाफ सुदर्शन चक्र उठाया था, उसी दौरान उनके हाथ में चोट लग गई और खून बहने लगा तभी द्रोपदी ने अपनी साड़ी में से टुकड़ा फाड़कर श्री कृष्ण के हाथ पर बांध दिया, बदले में श्री कृष्ण ने द्रोपदी को भविष्य में आने वाली हर मुसीबत में रक्षा करने की कसम दी थी और उससे पूरा किया !
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ द्वारा यहाँ सन्देश रक्षा बंधन के पर्व पर उन सभी माता-पिता और भाइयों से है जो गर्भ में पल रही बेटी को जानकार उसे इस समाज में आने से पहले ही उसे खत्म कर देते है और इतना भी नहीं सोच पाते की जिस माँ से उन्हें जनम मिला वो भी किसी की बेटी है, बहन है और आपकी पत्नी है तब जाकर आपको ये सारे रिश्ते मिले अगर आप इसी तरह बेटी को नहीं अपनाओगे तो ये रिश्ते आपको कभी नहीं मिलते ! फिर अपनी बेटी को क्यू समाज में आने से पहले ही उसे खत्म क्र देते हो..? अगर समाज में बेटी नहीं होगी तो यह पर्व अधूरा रहेगा ! हर भाई को एक बहन की जरुरत है इस पर्व पर, इसे समझने का प्रयास करे और भाई भी समझे की जो कसम वो अपनी बहन को देते है रक्षा करने का वो कसम की सिर्फ अपनी बहन को नहीं बल्कि समाज की हर उस लड़की के साथ निभाए जो समाज में रेप, महिलाओं का उत्पीड़न, एसिड अटैक जैसे अपराध जो हो रहे है उनसे उन्हें सुरक्षित करे ! अगर कभी आपने किसी एक लड़की को इस तरह के उत्पीड़न से बचा लिया तो अपनी बहन को दी कसम स्वयं पूरी हो जाएगी ! जिस तरह आप अपनी बहन को चाहते है कि समाज में सर उठा के चले वैसे ही दूसरे की बहन का भी ख्याल रखे और समाज की हर एक लड़की को इज़्ज़त और सम्मान दे ! तभी सही दिशा में यहाँ पर्व पूरा होगा जब हर एक लड़की अपने आपको अकेली भी सुरक्षित महसूस करेगी.
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