Saturday 12 August 2017

बेटी बचाओ अपना देश बढ़ाओ

प्रिय पाठको ! अभी कुछ दिन पहले सभी लोगो ने बड़ी ही धूमधाम के साथ रक्षाबंधन मनाया अपनी प्यारी बहनो के साथ ! सबके व्हाट्सप्प और फेसबुक पर रक्षाबंधन की ढेर सारी बधाई तो कही राखी की डीपी लगायी गयी! और अब रक्षाबंधन ख़त्म होते ही सबके व्हाट्सप्प और फेसबुक पर स्वतंत्रता दिवस की डीपी और शुभकामनाये दोस्तों और सभी को लोग दे रहे है ! देखकर ये सब अच्छा लगता है कि आज भी लोग आज़ादी के ७० वर्ष पुरे होने पर इतने ख़ुशी और सम्मान क साथ हमारे राष्ट्रीय झंडे को इतनी इज़्ज़त और सम्मान देते है ! लेकिन क्या सही मायनो में ये सब करके आप अपने राष्ट्रीय झंडे को सम्मान दे रहे है ? जैसे रक्षाबंधन ख़त्म होते साथ सब भाई अपनी बहन को दिए अपने वादे भूल गए इसी तरह स्वतंत्रता दिवस क बाद भी कुछ ऐसा ही आप करना चाहते है?


बहन से कलाई पर राखी तो बँधवा ली
500 रू देकर रक्षा का वचन भी दे डाला!
राखी गुजरी, और धागा भी टूट गया,
इसी के साथ बहन का मतलब भी पीछे छूट गया!
फिर वही चौराहों पर महफिल सजने लगी,
लड़की दिखते ही सीटी फिर बजने लगी!
रक्षा बंधन पर आपकी बहन को दिया हुआ वचन,
आज सीटियों की आवाज में तब्दील हो गया !
रक्षाबंधन का ये पावन त्यौहार,
भरे बाजार में आज जलील हो गया !!
पर जवानी के इस आलम में,
एक बात तुझे ना याद रही!
वो भी तो किसी की बहन होगी
जिस पर छीटाकशी तूने करी !!
बहन तेरी भी है, चौराहे पर भी जाती है,
सीटी की आवाज उसके कानों में भी आती है!
क्या वो सीटी तुझसे सहन होगी,
जिसकी मंजिल तेरी अपनी ही बहन होगी?
अगर जवाब तेरा हाँ है, तो सुन,
चौराहे पर तुझे बुलावा है!
फिर कैसी राखी, कैसा प्यार
सब कुछ बस एक छलावा है!!
बन्द करो ये नाटक राखी का,
जब सोच ही तुम्हारी खोटी है!
हर लड़की को इज़्ज़त दो ,
यही रक्षाबंधन की कसौटी है!



आज हम जिस उपलब्धि स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मना रहे हैं, वो केवल एक क़दम है ! भारत की सेवा का अर्थ है लाखों-करोड़ों पीड़ितों की सेवा करना। इसका अर्थ है निर्धनता, अज्ञानता, और अवसर की असमानता मिटाना। कोई भी देश तब तक महान नहीं बन सकता जब तक लोगों की सोच या कर्म संकीर्ण हैं। वास्तव में अगर आप सही अर्थ में स्वतंत्रता दिवस मानना चाहते है तो रोज़ मनाये और रोज अपनी सोच को स्वतंत्र करे और महिलाओ का सम्मान करे तभी देश का सम्मान बढ़ेगा, उन्हें एसिड अटैक और रेप, दहेज़ प्रथा, घरेलू हिंसाजैसी समस्याओं से सुरक्षित करे जिससे देश सुरक्षित होगा ! 

            "जिस देश में होता है नारी का सम्मान, वह देश होता है स्वर्ग समान । "
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जरुरी नहीं कि हम भारत में फिर से वैसी ही क्रांति लेकर ही देश का नाम रोशन करे और अपना ! अगर सच में आप क्रांति लाना ही चाहते हो तो एसिड अटैक और रेप, दहेज़ प्रथा, घरेलू हिंसा जैसी समस्याओं क निपटारे क लिए क्रांति लाये जिससे सच में हमारे राष्ट्रीय झंडे को सम्मान मिले और हमारा देश आज़ाद हो ! वास्तव में हमारा देश तभी महान बनेगा जब महिलाये, लड़कियाँ खुद को सरक्षित महसूस करे और उन्हें भी शिक्षा का पूरा अधिकार हो तभी इस राष्ट्रीय झंडे को हम सम्मान दे सकेंगे और गर्व से कह सकेंगे "सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा". 


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