Friday 22 September 2017

दहेज़ प्रथा एक सामाजिक अभिशाप !

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दहेज एक सामाजिक बुराई है, आज के आधुनिक समय में भी दहेज़ प्रथा नाम की बुराई हर जगह फैली हुई है । देश में औसतन हर एक घंटे में एक महिला दहेज संबंधी कारणों से मौत का शिकार होती है । भारत में इस प्रकार के मामलों में काफी वृद्धि देखी गई है ।


दहेज क्या है ?

दहेज का अर्थ है जो सम्पत्ति विवाह के समय वधू के परिवार की तरफ़ से वर को दी जाती है, उसे दहेज़ कहते है । माता-पिता कन्या के विवाह के समय नव-विवाहित जोड़े को नई गृहस्थी शुरु करने मे थोड़ी सी मदद के रूप मे कन्या को देकर वर को समर्पित करते है किन्तु समय के साथ स्वेच्छा से कन्या को दिया जाने वाला धन धीरे-धीरे वर पक्ष का अधिकार बनने लगा और वर पक्ष के लोग तो वर्तमान समय में इसे अपना जन्मसिद्ध अधिकार ही मान बैठे हैं । जो समाज के लिये अभिशाप है ! दहेज प्रथा के कारण नारी सामाजिक तिरस्कार, तलाक और आत्महत्या की ओर बढ रही है । शिक्षा के प्रसार का भी दहेज की मनोवृति पर कोई अच्छा प्रभाव नही पड़ा है, क्योंकि जो युवक जितना अधिक शिक्षित होता है उस की दहेज की मांग भी उतनी ही अधिक होती है, एक तरह से वर की बोली लगाई जाती है ।
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इस प्रथा से तंग आ कर नारीअपने जीवन को ही अभिशाप मानने लगी है । जो माता - पिता अपनी कन्या को दहेज़ देने में सक्षम नहीं है उन्हें भी दहेज़ के लिए मजबूर कर दिया जाता है, जैसे दहेज के अभाव में कन्या से विवाह करने से मना करना, या विवाह क बाद दहेज की कमियों को गिन गिन कर कन्या व उनके माता - पिता को बताना, सास और ननद का नई बहू को ताने मारना इत्यादि । कभी कभी तो दहेज प्रथा इतना क्रूर रूप धारण कर लेती है कि ससुराल वाले बहू को, या तो आत्म-हत्या करने पर मजबूर  कर देते है, या उसे जहर देकर, या जलाकर, या गला घोंट कर मार देते हैं । 

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दहेज़ एक सामाजिक विकराल है, जिसे कानून के भरोसे नहीं रोका जा सकता हैं । इसे रोकने के लिए युवा पीढ़ी जिसे समाज का भविष्य समझा जाता है, उन्हें इस प्रथा को समाप्त करने के लिए आगे आना होगा और अपनी मानसिकता में बदलाव लाना होगा । विवाह अपनी-अपनी जाति में करने की जो परम्परा है उसे तोड़ना होगा तथा अन्तर्राज्यीय विवाहों को प्रोत्साहन देना होगा । ताकि भविष्य में सभी की बेटी-बहु को सम्मान के साथ जीने का अधिकार मिले और किसी की बेटी बहु दहेज़ हत्या की शिकार न हो । "रिश्ते दिल से जुड़ते है, दहेज़ से नहीं...!!"
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दहेज-प्रथा को रोकने के लिए सरकार द्वारा सख्त कानून बनाया गया है । इस कानून के अनुसार दहेज लेना और दहेज देना दोनों अपराध माने गए हैं । अपराध प्रमाणित होने पर सजा और जुर्माना दोनों भरना पड़ता है । 
दहेज़ के आभाव में की गयी साजिश व हत्याओं और अधिकारों से सम्बंधित कानून के लिए - Visit- https://advocateravikashyap.wordpress.com/

Saturday 26 August 2017

आखिर पति के लिए पत्नी क्यो जरूरी है ?

अगर आज के दौर में लड़कियां घर और बाहर का काम अच्‍छी तरह से संभाल सकती हैं तो लड़के क्‍यों नहीं? विवाह के बाद लड़की को एक नए घर में अपनी जिम्मेदारियों को अच्छे ढंग से निभाना सिखाया जाता है। उसी तरह माता-पिता का यह दायित्व भी बनता है कि वे अपने बेटे को भी यह सिखाएँ कि वह पत्नी का सहयोग करे !

Wednesday 23 August 2017

What is women's rights ? ( क्या हैं महिलाओं के अधिकार ? )

महिलाओं को घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार


महिला संरक्षण अधिनियम, 2005
घरेलू हिंसा का अर्थ
1-व्यक्ति अगर व्यथित महिला के स्वास्थ्य की सुरक्षा , उसके जीवन अंग या कल्याण को नुकसान पहुंचाता है , क्षतिग्रस्त करता है या खतरा पहुंचाता है या ऐसा करने की कोशिश करता है तो वह घऱेलू हिंसा में शामिल है ।
2-इसके अंतर्गत शारीरिक दुरुपयोग , मौखिक औऱ भावनात्मक दुरुपयोग तथा आर्थिक दुरुपयोग , यौन दुरुपयोग शामिल हैं ।
शारीरिक दुरुपयोग
शारीरिक दुरुपयोग का मतलब है कि कोई भी कार्य या आचरण जो ऐसी प्रकृति का हो जो कि व्यथित महिला के जीवन अंग या स्वास्थ्य को शारीरिक कष्ट पैदा करता है । इसके अंतर्गत हमला करना, अपराधिक अभित्रास औऱ आपराधिक बल इस्तेमाल करना शामिल है ।
यौन दुरुपयोग
यौन प्रकृति का कोई भी आचरण जो महिला की गरिमा का दुरुपयोग करता है , अपमानित करता है , तिरस्कृत करता है या उसको भंग करता है ।

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Saturday 19 August 2017

खुशकिस्मत है वो, जो बेटी के बाप हैं

एक कहानी जो छू जाएगी आपके अंतर्मन को...

"पाँच साल की बेटी बाज़ार में
गोल गप्पे खाने के लिए मचल गई।

"किस भाव से दिए भाई?"
पापा नें सवाल् किया।

"10 रूपये के 8 हैं।
गोल गप्पे वाले ने जवाब दिया.......

पापा को मालूम नहीं था गोलगप्पे 
इतने महँगे हो गये है....
जब वे खाया करते थे तब तो एक रुपये के 10 मिला करते थे। . 
पापा ने जेब मे हाथ डाला 15 रुपये बचे थे।
 बाकी रुपये घर की जरूरत का सामान लेने में खर्च हो गए थे। 
उनका गांव शहर से दूर है 10 रुपये तो बस के किराए में लग जाने है। 

"नहीं भई 5 रुपये में 10 दो, तो ठीक है वरना नही लेने।

यह सुनकर बेटी नें मुँह फुला लिया....

"अरे अब चलो भी ,
नहीं लेने इतने महँगे।

पापा के माथे पर लकीरें उभर आयीं ....

"अरे खा लेने दो ना साहब..

अभी आपके घर में है तो
आपसे लाड़ भी कर सकती है...

कल को पराये घर चली गयी तो
पता नहीं ऐसे मचल पायेगी या नहीं. ...

तब आप भी तरसोगे बिटिया की
फरमाइश पूरी करने को...
.

.
गोलगप्पे वाले के शब्द थे तो चुभने वाले,
पर उन्हें सुनकर पापा को
अपनी बड़ी बेटी की याद आ गयी....
.
.
.
जिसकी शादी उसने तीन साल पहले 
एक खाते -पीते पढ़े लिखे परिवार में की थी......

उन्होंने पहले साल से ही उसे छोटी
छोटी बातों पर सताना शुरू कर दिया था.....

दो साल तक वह मुट्ठी भरभर के
रुपये उनके मुँह में ठूँसता रहा पर
उनका पेट बढ़ता ही चला गया ....

और अंत में एक दिन सीढियों से
गिर कर बेटी की मौत की खबर 
ही मायके पहुँची.....
.
.

आज वह छटपटाता है 
कि उसकी वह बेटी फिर से 
उसके पास लौट आये..? 
और वह चुन चुन कर उसकी 
सारी अधूरी इच्छाएँ पूरी कर दे...

पर वह अच्छी तरह जानता है 
कि अब यह असंभव है..


"दे दूँ क्या बाबूजी
गोलगप्पे वाले की आवाज से 
पापा की तंद्रा टूटी...

"रुको भाई दो मिनिट ....
पापा पास की उस पंसारी की दुकान पर गए
जहाँ से जरूरत का सामान खरीदा था। 
खरीदी गई पाँच किलो चीनी में से एक किलो चीनी वापस की तो 40 रुपये जेब मे बढ़ गए।

फिर ठेले पर आकर पापा ने डबडबायी आँखें 
पोंछते हुए कहा 
अब खिलादे भाई। 

हाँ तीखा जरा कम डालना। 
.
.
मेरी बिटिया बहुत नाजुक है....
सुनकर पाँच वर्ष की गुड़िया जैसी बेटी की आंखों में चमक आ गई 
.
.
और पापा का हाथ कस कर पकड़ लिया।

जब तक बेटी हमारे घर है 
उसकी हर इच्छा जरूर पूरी करे..

क्या पता आगे कोई इच्छा 
पूरी हो पाये या ना हो पाये ।

ये बेटियां भी कितनी अजीब होती हैं 
ससुराल में कितना भी प्यार मिले.....

माँ बाप की एक मुस्कान को
तरसती है ये बेटियां....

ससुराल में कितना भी रोएँ
पर मायके में एक भी आंसूं नहीं
बहाती ये बेटियां....

क्योंकि
बेटियों का सिर्फ एक ही आंसू माँ
बाप भाई बहन को हिला देता है
रुला देता है....
भगवान की अनमोल देंन हैं 
ये बेटियां ......

हो सके तो
बेटियों को बहुत प्यार दें
उन्हें कभी भी न रुलाये
क्योंकि ये अनमोल बेटी दो
परिवार जोड़ती है
दो रिश्तों को साथ लाती है।
अपने प्यार और मुस्कान से।

हम चाहते हैं कि
सभी बेटियां खुश रहें 
हमेशा भले ही हो वो
मायके में या ससुराल में।

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खुशकिस्मत है वो, जो बेटी के बाप हैं...!
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उन्हें भरपूर प्यार दे, दुलार करें और यही व्यवहार अपनी पत्नी के साथ भी करें क्यों की वो भी किसी की बेटी है और अपने पिता की छोड़ कर आपके साथ पूरी ज़िन्दगी बीताने आयी है। उसके पिता की सारी उम्मीदें सिर्फ और सिर्फ आप से हैं।

Saturday 12 August 2017

बेटी बचाओ अपना देश बढ़ाओ

प्रिय पाठको ! अभी कुछ दिन पहले सभी लोगो ने बड़ी ही धूमधाम के साथ रक्षाबंधन मनाया अपनी प्यारी बहनो के साथ ! सबके व्हाट्सप्प और फेसबुक पर रक्षाबंधन की ढेर सारी बधाई तो कही राखी की डीपी लगायी गयी! और अब रक्षाबंधन ख़त्म होते ही सबके व्हाट्सप्प और फेसबुक पर स्वतंत्रता दिवस की डीपी और शुभकामनाये दोस्तों और सभी को लोग दे रहे है ! देखकर ये सब अच्छा लगता है कि आज भी लोग आज़ादी के ७० वर्ष पुरे होने पर इतने ख़ुशी और सम्मान क साथ हमारे राष्ट्रीय झंडे को इतनी इज़्ज़त और सम्मान देते है ! लेकिन क्या सही मायनो में ये सब करके आप अपने राष्ट्रीय झंडे को सम्मान दे रहे है ? जैसे रक्षाबंधन ख़त्म होते साथ सब भाई अपनी बहन को दिए अपने वादे भूल गए इसी तरह स्वतंत्रता दिवस क बाद भी कुछ ऐसा ही आप करना चाहते है?


बहन से कलाई पर राखी तो बँधवा ली
500 रू देकर रक्षा का वचन भी दे डाला!
राखी गुजरी, और धागा भी टूट गया,
इसी के साथ बहन का मतलब भी पीछे छूट गया!
फिर वही चौराहों पर महफिल सजने लगी,
लड़की दिखते ही सीटी फिर बजने लगी!
रक्षा बंधन पर आपकी बहन को दिया हुआ वचन,
आज सीटियों की आवाज में तब्दील हो गया !
रक्षाबंधन का ये पावन त्यौहार,
भरे बाजार में आज जलील हो गया !!
पर जवानी के इस आलम में,
एक बात तुझे ना याद रही!
वो भी तो किसी की बहन होगी
जिस पर छीटाकशी तूने करी !!
बहन तेरी भी है, चौराहे पर भी जाती है,
सीटी की आवाज उसके कानों में भी आती है!
क्या वो सीटी तुझसे सहन होगी,
जिसकी मंजिल तेरी अपनी ही बहन होगी?
अगर जवाब तेरा हाँ है, तो सुन,
चौराहे पर तुझे बुलावा है!
फिर कैसी राखी, कैसा प्यार
सब कुछ बस एक छलावा है!!
बन्द करो ये नाटक राखी का,
जब सोच ही तुम्हारी खोटी है!
हर लड़की को इज़्ज़त दो ,
यही रक्षाबंधन की कसौटी है!



आज हम जिस उपलब्धि स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मना रहे हैं, वो केवल एक क़दम है ! भारत की सेवा का अर्थ है लाखों-करोड़ों पीड़ितों की सेवा करना। इसका अर्थ है निर्धनता, अज्ञानता, और अवसर की असमानता मिटाना। कोई भी देश तब तक महान नहीं बन सकता जब तक लोगों की सोच या कर्म संकीर्ण हैं। वास्तव में अगर आप सही अर्थ में स्वतंत्रता दिवस मानना चाहते है तो रोज़ मनाये और रोज अपनी सोच को स्वतंत्र करे और महिलाओ का सम्मान करे तभी देश का सम्मान बढ़ेगा, उन्हें एसिड अटैक और रेप, दहेज़ प्रथा, घरेलू हिंसाजैसी समस्याओं से सुरक्षित करे जिससे देश सुरक्षित होगा ! 

            "जिस देश में होता है नारी का सम्मान, वह देश होता है स्वर्ग समान । "
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जरुरी नहीं कि हम भारत में फिर से वैसी ही क्रांति लेकर ही देश का नाम रोशन करे और अपना ! अगर सच में आप क्रांति लाना ही चाहते हो तो एसिड अटैक और रेप, दहेज़ प्रथा, घरेलू हिंसा जैसी समस्याओं क निपटारे क लिए क्रांति लाये जिससे सच में हमारे राष्ट्रीय झंडे को सम्मान मिले और हमारा देश आज़ाद हो ! वास्तव में हमारा देश तभी महान बनेगा जब महिलाये, लड़कियाँ खुद को सरक्षित महसूस करे और उन्हें भी शिक्षा का पूरा अधिकार हो तभी इस राष्ट्रीय झंडे को हम सम्मान दे सकेंगे और गर्व से कह सकेंगे "सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा". 


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Saturday 5 August 2017

सेव एंजेल्स टीच एंजेल्स की तरफ से रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाये !

रक्षा बंधन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। उत्तरी भारत में यह त्यौहार भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित है और इस त्यौहार का प्रचलन सदियों पुराना बताया गया है। इस दिन बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा का संकल्प लेते हुए अपना स्नेहाभाव दर्शाते हैं।

रक्षा बंधन का उल्लेख हमारी पौराणिक कथाओं व महाभारत में मिलता है महाभारत की लड़ाई से पहले श्री कृष्ण ने राजा शिशुपाल के खिलाफ सुदर्शन चक्र उठाया था, उसी दौरान उनके हाथ में चोट लग गई और खून बहने लगा तभी द्रोपदी ने अपनी साड़ी में से टुकड़ा फाड़कर श्री कृष्ण के हाथ पर बांध दिया, बदले में श्री कृष्ण ने द्रोपदी को भविष्य में आने वाली हर मुसीबत में रक्षा करने की कसम दी थी और उससे पूरा किया !
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ द्वारा यहाँ सन्देश रक्षा बंधन के पर्व पर उन सभी माता-पिता और भाइयों से है जो गर्भ में पल रही बेटी को जानकार उसे इस समाज में आने से पहले ही उसे खत्म कर देते है और इतना भी नहीं सोच पाते की जिस माँ से उन्हें जनम मिला वो भी किसी की बेटी है, बहन है और आपकी पत्नी है तब जाकर आपको ये सारे रिश्ते मिले  अगर आप इसी तरह बेटी को नहीं अपनाओगे तो ये रिश्ते आपको कभी नहीं मिलते ! फिर अपनी बेटी को क्यू समाज में आने से पहले ही उसे खत्म क्र देते हो..? अगर समाज में बेटी नहीं होगी तो यह पर्व अधूरा रहेगा ! हर भाई को एक बहन की जरुरत है इस पर्व पर, इसे समझने का प्रयास करे और भाई भी समझे की जो कसम वो अपनी बहन को देते है रक्षा करने का वो कसम की सिर्फ अपनी बहन को नहीं बल्कि समाज की हर उस लड़की के साथ निभाए जो समाज में रेप, महिलाओं का उत्पीड़न, एसिड अटैक जैसे अपराध जो हो रहे है उनसे उन्हें सुरक्षित करे ! अगर कभी आपने किसी एक लड़की को इस तरह के उत्पीड़न से बचा लिया तो अपनी बहन को दी कसम स्वयं पूरी हो जाएगी ! जिस तरह आप अपनी बहन को चाहते है कि समाज में सर उठा के चले वैसे ही दूसरे की बहन का भी ख्याल रखे और समाज की हर एक लड़की को इज़्ज़त और सम्मान दे ! तभी सही दिशा में यहाँ पर्व पूरा होगा जब हर एक लड़की अपने आपको अकेली भी सुरक्षित महसूस करेगी. 
रक्षाबंधन दो लोगों के बीच प्रेम और इज्जत का बेजोड़ बंधन का प्रतीक है ! आज भी देशभर में लोग इस त्योहार को खुशी और प्रेम से मनाते है और एक-दूसरे की रक्षा करने का वचन देते है तो इस रक्षा बंधन पर अपनी बहन को ही नहीं समाज की हर एक लड़की की रक्षा करने का वादा करे ! सभी भाई लड़की की रक्षा करने क लिए कॉमेंट और लाइक करे !
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Sunday 30 July 2017

आईये जानते हैं महिलाओं के हित में बनाए गए कानून

महिलाएं पढ़ी- लिखी होने के बावजूद अपने कानूनी अधिकारों की जानकारी से बहुत दूर हैं। जो कानून महिलाओं के हित में हैं, कम से कम उनकी जानकारी रखकर वे सामने मौजूद परेशानियों से निपटने की हिम्मत जुटा सकती हैं। वहीं, भावी परेशानियों का सामना करने के लिए तैयार भी हो सकती हैं।

Wednesday 19 July 2017

सुकन्या समृद्धि योजना

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना में एक फाइनेंशियल ईयर में कम से कम 1 हजार और अधिक से अधिक डेढ़ लाख रुपया या इसके बीच की कितनी भी रकम जमा कर सकते हैं। यह पैसा अकाउंट खुलने के 14 साल तक ही जमा करवाना पड़ेगा। मगर, खाता बेटी के 21 साल की होने पर ही मैच्योर होगा। बेटी के 18 साल के होने पर आधा पैसा निकलवा सकते हैं।

21 साल के बाद खाता बंद हो जाएगा और पैसा गार्जियन को मिल जाएगा। अगर बेटी की 18 से 21 साल के बीच मैरिज हो जाती है तो अकांउट उसी वक्त बंद हो जाएगा। अगर पेमेंट लेट हुई तो सिर्फ 50 रुपए की पैनल्टी लगेगी। गार्जियन अपनी दो बेटियों के लिए दो अकाउंट खोल सकते हैं। जुड़वां होने पर उसका प्रूफ देकर ही तीसरा खाता खोल सकेंगे। खाते को आप कहीं भी ट्रांसफर करा सकेंगे।

ऐसे समझें फायदे को:यदि 2015 में कोई व्यक्ति 1,000 रुपए महीने से अकाउंट खोलता है तो उसे 14 साल तक यानी 2028 तक हर साल 12 हजार रुपए डालने होंगे। मौजूदा हिसाब से उसे हर साल 9.1 फीसदी ब्याज मिलता रहेगा तो जब बच्ची 21 साल की होगी तो उसे 6,07,128 रुपए मिलेंगे। यहां आपको बता दें कि 14 सालों में इस व्यक्ति को अकाउंट में कुल 1.68 लाख रुपए ही जमा करने पड़े। इसके अलावा बाकी के 4,39,128 रुपए ब्याज के हैं।

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Monday 10 July 2017

आईये जानते हैं भारतीय संविधान के तहत महिलाओं के हित में बनाए गए कानून

आजकल की महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधे मिलते हुए एक सामान मेहनत कर रही है लेकिन आज भी उनकी छवि अबला नारी की है इसलिए कुछ नापाक लोग उनका फायदा उठाने की कोशिश करते हैं इसलिए भारतीय संविधान के उन कानूनों को हर वोमेन को जानना जरूरी है जो उनके लिए बनाये गये हैं।


काम के दौरान महिलाओं का उत्पीड़न
आपको बताते चलें की अधिकतर यह देखा जाता है कि महिलाओं से काम लेने के बदले उनका तरह तरह से उत्पीड़न किया जाता है। जिसे रोकने के लिए देश की हर महिला को यह अधिकार दिया गया है कि वो किसी भी तरह के उत्पीड़न के खिलाफ बेहिचक शिकायत दर्ज करा सकती है।

समान वेतन का अधिकार 
आज के जमाने में महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर एक समान मेहनत करती है इसलिए पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार महिलाओं को पुरुषों के बराबर वेतन दिये जाने का कानून है।

संपत्ति पर अधिकार हिंदू धर्म के अनुसार 
महिला और पुरुष दोनों को अपने पिता की संपत्ति में अधिकार मिलेगा।

गरिमा और शालीनता के लिए अधिकार
इस अधिकार के तहत अगर किसी महिला को किसी भी मामले में हिरासत में लिया जाता है तो उसके साथ किसी भी तरह की पूछताछ महिला ही कर सकती है।

शाम के बाद गिरफ्तार ना होने का अधिकार 
इस अधिकार के तहद किसी भी महिला को सूर्यास्त होने की बाद गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। हालांकि विशेष परिस्थिति में मजिस्ट्रेट का आदेश आने के बाद ही गिरफ्तारी हो सकती है।

नाम नहीं उजागर करने का अधिकार 
इस अधिकार के तहत किसी भी मामले में वांछित महिलाएं या यौन उत्पीड़न की शिकार हुई महिलाओं के नाम को प्रकाशित नहीं किया जा सकता है। मुफ्त में मदद करने का अधिकार इस अधिकार के तहत बलात्कार पीड़ित महिला को मुफ्त कानूनी मदद दी जायेगी। 

घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार
घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार अधिनियम के तहत कोई भी महिला कभी भी शिकायत दर्ज करा सकती है।

मातृत्व लाभ के लिए अधिकार 
यह अधिकार काम करने वाली महिलाओं के लिये बनाया गया है। जिसमें डिलीवरी होने के 12 सप्ताह तक महिला को छुट्टी दी जाती है और उसके वेतन में कटौती नहीं की जाती है।


अधिक कानूनी जानकारी के लिए देखें: advocateravikashyap.com

Thursday 6 July 2017

बेटी है जग का आधार


बेटी है जग का आधार
जब माँ हीं जग में न होगी

तो तुम जन्म किससे पाओगे ?……..

जब बहन न होगी घर के आंगन में

तो किससे रुठोगे, किसे मनाओगे ?………

जब दादी-नानी न होगी
तो तुम्हें कहानी कौन सुनाएगा ?…
जब कोई स्वप्न सुन्दरी हीं न होगी
तो तुम किससे ब्याह रचाओगे ?……
जब घर में बेटी हीं न होगी
तो तुम किस पर लाड लुटाओगे ?…..
जिस दुनिया में स्त्री हीं न होगी
उस दुनिया में तुम कैसे रह पाओगे ?……
जब तेरे घर में बहु हीं न होगी
तो कैसे वंश आगे बढ़ाओगे ?…..
नारी के बिन जग सूना है
तुम ये बात कब समझ पाओगे ?


Tuesday 4 July 2017

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

  • जिस समाज में नहीं बेटी का सम्मान, वह समाज तो है श्मशान.
  • बेटी है, तो जीवन है….. बेटी के बिन जग निर्जन है.
  • बेटी हीं है संस्कृति और सभ्यता की पालक.
  • बेटी के लिए दहेज के सामान मत जुटाओ, तुम तो बस उसे आत्मनिर्भर बनाओ.
  • नारी न होती तो कैसे पाते जन्म, नारी न होती तो कैसे पाते यह तन.
  • तुम भ्रूण हत्या करने के लायक न होते, अगर तुम खुद हो गए होते इसके शिकार.
  • बेटी हीं होती है, वह बीज…. जिससे आगे बढ़ती वंश बेल.
  • पुरुष के जीवन का आधार है नारी,
    कभी माँ, कभी बहन, कभी पत्नी…. तो कभी बेटी है नारी.
  • इस धरती की धुरी है नारी, जीवन की पंखुड़ी है नारी.
  • जिस समाज में नारी हो जाए मोहताज, तो समझ लो…. यह है, उस समाज के पतन का आगाज.
  • स्त्रियों की स्थिति से हीं किसी समाज की वास्तविकता का आकलन किया जा सकता है.
  • पुरुष मत करो तुम खुद पर अभिमान, तुम नारी के बिन हो तिनके के समान.
  • जबतक नारी सहेगी अत्याचार, तबतक नहीं होगा समाज का उद्धार.
  • तुम बदलो इस समाज की परिपाटी, बेटे-बेटी को दो एक समान अवसर साथी.
  • अगर किसी समाज में स्त्री उपभोग की वस्तु बनकर रह गई हो, तो इससे साफ पता चलता है कि वह समाज झूठे दम्भ में ग्रस्त है.
  • नारी है धरती का अभिमान, तुम भी करो इसका सम्मान.
  • बेटी के बिन कैसे होगा नवयुग का निर्माण, तुमें कब होगा इस बात का ज्ञान.