Tuesday 4 July 2017

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

  • जिस समाज में नहीं बेटी का सम्मान, वह समाज तो है श्मशान.
  • बेटी है, तो जीवन है….. बेटी के बिन जग निर्जन है.
  • बेटी हीं है संस्कृति और सभ्यता की पालक.
  • बेटी के लिए दहेज के सामान मत जुटाओ, तुम तो बस उसे आत्मनिर्भर बनाओ.
  • नारी न होती तो कैसे पाते जन्म, नारी न होती तो कैसे पाते यह तन.
  • तुम भ्रूण हत्या करने के लायक न होते, अगर तुम खुद हो गए होते इसके शिकार.
  • बेटी हीं होती है, वह बीज…. जिससे आगे बढ़ती वंश बेल.
  • पुरुष के जीवन का आधार है नारी,
    कभी माँ, कभी बहन, कभी पत्नी…. तो कभी बेटी है नारी.
  • इस धरती की धुरी है नारी, जीवन की पंखुड़ी है नारी.
  • जिस समाज में नारी हो जाए मोहताज, तो समझ लो…. यह है, उस समाज के पतन का आगाज.
  • स्त्रियों की स्थिति से हीं किसी समाज की वास्तविकता का आकलन किया जा सकता है.
  • पुरुष मत करो तुम खुद पर अभिमान, तुम नारी के बिन हो तिनके के समान.
  • जबतक नारी सहेगी अत्याचार, तबतक नहीं होगा समाज का उद्धार.
  • तुम बदलो इस समाज की परिपाटी, बेटे-बेटी को दो एक समान अवसर साथी.
  • अगर किसी समाज में स्त्री उपभोग की वस्तु बनकर रह गई हो, तो इससे साफ पता चलता है कि वह समाज झूठे दम्भ में ग्रस्त है.
  • नारी है धरती का अभिमान, तुम भी करो इसका सम्मान.
  • बेटी के बिन कैसे होगा नवयुग का निर्माण, तुमें कब होगा इस बात का ज्ञान.

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