महिलाएं पढ़ी- लिखी होने के बावजूद अपने कानूनी अधिकारों की जानकारी से बहुत दूर हैं। जो कानून महिलाओं के हित में हैं, कम से कम उनकी जानकारी रखकर वे सामने मौजूद परेशानियों से निपटने की हिम्मत जुटा सकती हैं। वहीं, भावी परेशानियों का सामना करने के लिए तैयार भी हो सकती हैं।
यह संगठन महिलाओं के सशक्तिकरण और लड़कियों के अधिकारों को बचाने के लिए एक गैर-लाभकारी संगठन है।
Sunday 30 July 2017
Wednesday 19 July 2017
सुकन्या समृद्धि योजना
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना में एक फाइनेंशियल ईयर में कम से कम 1 हजार और अधिक से अधिक डेढ़ लाख रुपया या इसके बीच की कितनी भी रकम जमा कर सकते हैं। यह पैसा अकाउंट खुलने के 14 साल तक ही जमा करवाना पड़ेगा। मगर, खाता बेटी के 21 साल की होने पर ही मैच्योर होगा। बेटी के 18 साल के होने पर आधा पैसा निकलवा सकते हैं।
21 साल के बाद खाता बंद हो जाएगा और पैसा गार्जियन को मिल जाएगा। अगर बेटी की 18 से 21 साल के बीच मैरिज हो जाती है तो अकांउट उसी वक्त बंद हो जाएगा। अगर पेमेंट लेट हुई तो सिर्फ 50 रुपए की पैनल्टी लगेगी। गार्जियन अपनी दो बेटियों के लिए दो अकाउंट खोल सकते हैं। जुड़वां होने पर उसका प्रूफ देकर ही तीसरा खाता खोल सकेंगे। खाते को आप कहीं भी ट्रांसफर करा सकेंगे।
ऐसे समझें फायदे को:यदि 2015 में कोई व्यक्ति 1,000 रुपए महीने से अकाउंट खोलता है तो उसे 14 साल तक यानी 2028 तक हर साल 12 हजार रुपए डालने होंगे। मौजूदा हिसाब से उसे हर साल 9.1 फीसदी ब्याज मिलता रहेगा तो जब बच्ची 21 साल की होगी तो उसे 6,07,128 रुपए मिलेंगे। यहां आपको बता दें कि 14 सालों में इस व्यक्ति को अकाउंट में कुल 1.68 लाख रुपए ही जमा करने पड़े। इसके अलावा बाकी के 4,39,128 रुपए ब्याज के हैं।
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21 साल के बाद खाता बंद हो जाएगा और पैसा गार्जियन को मिल जाएगा। अगर बेटी की 18 से 21 साल के बीच मैरिज हो जाती है तो अकांउट उसी वक्त बंद हो जाएगा। अगर पेमेंट लेट हुई तो सिर्फ 50 रुपए की पैनल्टी लगेगी। गार्जियन अपनी दो बेटियों के लिए दो अकाउंट खोल सकते हैं। जुड़वां होने पर उसका प्रूफ देकर ही तीसरा खाता खोल सकेंगे। खाते को आप कहीं भी ट्रांसफर करा सकेंगे।
ऐसे समझें फायदे को:यदि 2015 में कोई व्यक्ति 1,000 रुपए महीने से अकाउंट खोलता है तो उसे 14 साल तक यानी 2028 तक हर साल 12 हजार रुपए डालने होंगे। मौजूदा हिसाब से उसे हर साल 9.1 फीसदी ब्याज मिलता रहेगा तो जब बच्ची 21 साल की होगी तो उसे 6,07,128 रुपए मिलेंगे। यहां आपको बता दें कि 14 सालों में इस व्यक्ति को अकाउंट में कुल 1.68 लाख रुपए ही जमा करने पड़े। इसके अलावा बाकी के 4,39,128 रुपए ब्याज के हैं।
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Thursday 13 July 2017
Monday 10 July 2017
आईये जानते हैं भारतीय संविधान के तहत महिलाओं के हित में बनाए गए कानून
आजकल की महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधे मिलते हुए एक सामान मेहनत कर रही है लेकिन आज भी उनकी छवि अबला नारी की है इसलिए कुछ नापाक लोग उनका फायदा उठाने की कोशिश करते हैं इसलिए भारतीय संविधान के उन कानूनों को हर वोमेन को जानना जरूरी है जो उनके लिए बनाये गये हैं।
काम के दौरान महिलाओं का उत्पीड़न
आपको बताते चलें की अधिकतर यह देखा जाता है कि महिलाओं से काम लेने के बदले उनका तरह तरह से उत्पीड़न किया जाता है। जिसे रोकने के लिए देश की हर महिला को यह अधिकार दिया गया है कि वो किसी भी तरह के उत्पीड़न के खिलाफ बेहिचक शिकायत दर्ज करा सकती है।
समान वेतन का अधिकार
आज के जमाने में महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर एक समान मेहनत करती है इसलिए पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार महिलाओं को पुरुषों के बराबर वेतन दिये जाने का कानून है।
संपत्ति पर अधिकार हिंदू धर्म के अनुसार
महिला और पुरुष दोनों को अपने पिता की संपत्ति में अधिकार मिलेगा।
गरिमा और शालीनता के लिए अधिकार
इस अधिकार के तहत अगर किसी महिला को किसी भी मामले में हिरासत में लिया जाता है तो उसके साथ किसी भी तरह की पूछताछ महिला ही कर सकती है।
शाम के बाद गिरफ्तार ना होने का अधिकार
इस अधिकार के तहद किसी भी महिला को सूर्यास्त होने की बाद गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। हालांकि विशेष परिस्थिति में मजिस्ट्रेट का आदेश आने के बाद ही गिरफ्तारी हो सकती है।
नाम नहीं उजागर करने का अधिकार
इस अधिकार के तहत किसी भी मामले में वांछित महिलाएं या यौन उत्पीड़न की शिकार हुई महिलाओं के नाम को प्रकाशित नहीं किया जा सकता है। मुफ्त में मदद करने का अधिकार इस अधिकार के तहत बलात्कार पीड़ित महिला को मुफ्त कानूनी मदद दी जायेगी।
घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार
घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार अधिनियम के तहत कोई भी महिला कभी भी शिकायत दर्ज करा सकती है।
मातृत्व लाभ के लिए अधिकार
यह अधिकार काम करने वाली महिलाओं के लिये बनाया गया है। जिसमें डिलीवरी होने के 12 सप्ताह तक महिला को छुट्टी दी जाती है और उसके वेतन में कटौती नहीं की जाती है।
अधिक कानूनी जानकारी के लिए देखें: advocateravikashyap.com
अधिक कानूनी जानकारी के लिए देखें: advocateravikashyap.com
Thursday 6 July 2017
बेटी है जग का आधार
बेटी है जग का आधार
जब माँ हीं जग में न होगी
तो तुम जन्म किससे पाओगे ?……..
जब बहन न होगी घर के आंगन में
तो किससे रुठोगे, किसे मनाओगे ?………
जब दादी-नानी न होगी
तो तुम्हें कहानी कौन सुनाएगा ?…
जब कोई स्वप्न सुन्दरी हीं न होगी
तो तुम किससे ब्याह रचाओगे ?……
जब घर में बेटी हीं न होगी
तो तुम किस पर लाड लुटाओगे ?…..
जिस दुनिया में स्त्री हीं न होगी
उस दुनिया में तुम कैसे रह पाओगे ?……
जब तेरे घर में बहु हीं न होगी
तो कैसे वंश आगे बढ़ाओगे ?…..
नारी के बिन जग सूना है
तुम ये बात कब समझ पाओगे ?
Tuesday 4 July 2017
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
- जिस समाज में नहीं बेटी का सम्मान, वह समाज तो है श्मशान.
- बेटी है, तो जीवन है….. बेटी के बिन जग निर्जन है.
- बेटी हीं है संस्कृति और सभ्यता की पालक.
- बेटी के लिए दहेज के सामान मत जुटाओ, तुम तो बस उसे आत्मनिर्भर बनाओ.
- नारी न होती तो कैसे पाते जन्म, नारी न होती तो कैसे पाते यह तन.
- तुम भ्रूण हत्या करने के लायक न होते, अगर तुम खुद हो गए होते इसके शिकार.
- बेटी हीं होती है, वह बीज…. जिससे आगे बढ़ती वंश बेल.
- पुरुष के जीवन का आधार है नारी,
कभी माँ, कभी बहन, कभी पत्नी…. तो कभी बेटी है नारी.
- इस धरती की धुरी है नारी, जीवन की पंखुड़ी है नारी.
- जिस समाज में नारी हो जाए मोहताज, तो समझ लो…. यह है, उस समाज के पतन का आगाज.
- स्त्रियों की स्थिति से हीं किसी समाज की वास्तविकता का आकलन किया जा सकता है.
- पुरुष मत करो तुम खुद पर अभिमान, तुम नारी के बिन हो तिनके के समान.
- जबतक नारी सहेगी अत्याचार, तबतक नहीं होगा समाज का उद्धार.
- तुम बदलो इस समाज की परिपाटी, बेटे-बेटी को दो एक समान अवसर साथी.
- अगर किसी समाज में स्त्री उपभोग की वस्तु बनकर रह गई हो, तो इससे साफ पता चलता है कि वह समाज झूठे दम्भ में ग्रस्त है.
- नारी है धरती का अभिमान, तुम भी करो इसका सम्मान.
- बेटी के बिन कैसे होगा नवयुग का निर्माण, तुमें कब होगा इस बात का ज्ञान.
कभी माँ, कभी बहन, कभी पत्नी…. तो कभी बेटी है नारी.
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