Monday 10 July 2017

आईये जानते हैं भारतीय संविधान के तहत महिलाओं के हित में बनाए गए कानून

आजकल की महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधे मिलते हुए एक सामान मेहनत कर रही है लेकिन आज भी उनकी छवि अबला नारी की है इसलिए कुछ नापाक लोग उनका फायदा उठाने की कोशिश करते हैं इसलिए भारतीय संविधान के उन कानूनों को हर वोमेन को जानना जरूरी है जो उनके लिए बनाये गये हैं।


काम के दौरान महिलाओं का उत्पीड़न
आपको बताते चलें की अधिकतर यह देखा जाता है कि महिलाओं से काम लेने के बदले उनका तरह तरह से उत्पीड़न किया जाता है। जिसे रोकने के लिए देश की हर महिला को यह अधिकार दिया गया है कि वो किसी भी तरह के उत्पीड़न के खिलाफ बेहिचक शिकायत दर्ज करा सकती है।

समान वेतन का अधिकार 
आज के जमाने में महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर एक समान मेहनत करती है इसलिए पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार महिलाओं को पुरुषों के बराबर वेतन दिये जाने का कानून है।

संपत्ति पर अधिकार हिंदू धर्म के अनुसार 
महिला और पुरुष दोनों को अपने पिता की संपत्ति में अधिकार मिलेगा।

गरिमा और शालीनता के लिए अधिकार
इस अधिकार के तहत अगर किसी महिला को किसी भी मामले में हिरासत में लिया जाता है तो उसके साथ किसी भी तरह की पूछताछ महिला ही कर सकती है।

शाम के बाद गिरफ्तार ना होने का अधिकार 
इस अधिकार के तहद किसी भी महिला को सूर्यास्त होने की बाद गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। हालांकि विशेष परिस्थिति में मजिस्ट्रेट का आदेश आने के बाद ही गिरफ्तारी हो सकती है।

नाम नहीं उजागर करने का अधिकार 
इस अधिकार के तहत किसी भी मामले में वांछित महिलाएं या यौन उत्पीड़न की शिकार हुई महिलाओं के नाम को प्रकाशित नहीं किया जा सकता है। मुफ्त में मदद करने का अधिकार इस अधिकार के तहत बलात्कार पीड़ित महिला को मुफ्त कानूनी मदद दी जायेगी। 

घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार
घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार अधिनियम के तहत कोई भी महिला कभी भी शिकायत दर्ज करा सकती है।

मातृत्व लाभ के लिए अधिकार 
यह अधिकार काम करने वाली महिलाओं के लिये बनाया गया है। जिसमें डिलीवरी होने के 12 सप्ताह तक महिला को छुट्टी दी जाती है और उसके वेतन में कटौती नहीं की जाती है।


अधिक कानूनी जानकारी के लिए देखें: advocateravikashyap.com

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